रविवार, 24 सितंबर 2023

आज से IIMC जम्मू में नए सत्र की शुरुआत, पत्रकारों ने साझा किए अपने अनुभव

Source: IIMC Jammu 


भारतीय जन संचार संस्थान के क्षेत्रीय कैंपस जम्मू मे आज यानि 15 सितंबर को सत्रारम्भ का आयोजन किया गया| इसके पहले IIMC के मेन कैंपस दिल्ली मे भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया| जिसमे आज तक की एडिटर इन चीफ अंजना ओम कश्यप ने मुख्य अतिथि के रूप में अपनी भूमिका निभाई थी| उसी परंपरा को निभाते हुए जम्मू में प्रकाशित होने वाले अखबारों के संपादकों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए पत्रकारिता के गुर बताए| इस कार्यक्रम में PIB के Joint Director गुलाम अब्बास, AIR के Former Station Director शमिनदर कुमार, CBC की Dy Director आयुषी पुरी, DD के Former Dy Director संजीत खजूरिया, Digital Entreprenur दिव्यावसू शर्मा और साथ ही साथ IIMC Regional Director प्रोफेसर अनिल सौमित्रा भी मौजूद रहे| कार्यक्रम का आयोजन आए हुए  अतिथियों ने दीपप्रज्वलन के साथ किया| 


PIB के अस्तित्व में हुआ विस्तार



कार्यक्रम की  शुरुआत PIB के Joint Director गुलाम अब्बास के स्पीच से हुई| जहां पर उन्होंने PIB की बढ़ती जिम्मेदारियों और उसके कार्यों मे हो रहे विस्तारों पर चर्चा की| गुलाम अब्बास ने कहा पहले PIB केवल प्रेस रिलीज ही निकलता था। लेकिन अब उसका दायरा बढ़ चुका है, PBI अब सोशल मीडिया और माइक्रोब्लॉगिंग साइट के द्वारा भी जानकारियाँ प्रदान करता है। इसके अलावा उन्होंने एक घटना चक्र का जिक्र करते हुए बतया की पीआईबी ने ही सर्वप्रथम केदारनाथ आपदा की जानकारी एक्स (ट्विटर) द्वारा दी थी। साथ ही साथ गुलाम अब्बास ने संवाद पोर्टल का जिक्र करते हुए कहा की, संवाद पोर्टल भी पीआईबी द्वारा ही बनाया गया है| जहां सरकार द्वारा प्रदत्त जानकारियाँ अपलोड की जाती है। इसके अलावा  PIB मीडिया कार्यशाला का भी आयोजन करता है। अखबारों का प्रसार और सत्यापन का कार्य जो पूर्व में आरएनआई के पास था वह अब पीआईबी करता है।   


"मन की बात" को भी रेडियो का सहारा लेना पड़ता है


कार्यक्रम के दूसरे वक्ता AIR के Former Station Director शमिनदर कुमार ने रेडियो के मुद्दे पर अपने अनुभवों को साझा करते हुए, छात्रों को पत्रकारिता का इतिहास और उसके भविष्य के बारे में विस्तार से बताया | शमिनदर कुमार ने कहा रेडियो हमेशा से सुनने और सुनाने की परंपरा का पुजारी रहा है| फिर वो चाहे आजादी का दौर रहा हो या फिर आज का| रेडियो ने हमेशा से लोगों की भाषा के अनुकूल ही कार्यक्रमों का आयोजन किया है| शमिनदर कुमार ने जम्मू की डोगरी बोली का जिक्र करते हुए कहा की उस दौर मे जब रेडियो की शुरुआत हुई थी और टेलीविजन जैसा कुछ नहीं होता था| उस समय भी रेडियो ने जम्मू के क्षेत्रीय लोगों के लिए डोगरी भाषा मे कार्यक्रम किए थे|उन्होंने आगे कहा की रेडियो ने हमेशा से शालीनता, अनुसाशन और समय का पाबंधी रहा है| अंत मे उन्होंन प्रधानमंत्री के "मन की बात" की बात का जिक्र करते हुए कहा की लोगों का विश्वास आज भी रेडियो के प्रति कायम है| क्योंकि देश के प्रधानमंत्री भी अपनी बात को जनता तक पहुंचाने के लिए रेडियो का ही सहारा लेते है|


डिजिटल मीडिया मे आत्म निर्भरता का दिया संदेश


Digital Entreprenur दिव्यावसू शर्मा ने छात्रों को संबोधित करते डिजिटल मीडिया की भूमिका को समझाया| उन्होंने बताया की  किस प्रकार से हमे सोशल मीडिया में अपनी बात को प्रमुखता से रखने की आजादी मिली है| फिर वो चाहे यू ट्यूब, फेस्बूक या फिर X हो प्रत्येक सोशल मीडिया का प्रयोग करके हम अपनी बात को आजादी पूर्वक रख सकते है| डिजिटल मीडिया की पहुँच बड़ी है। इसमें जगह की दिक्कत नहीं होती है। लेकिन भ्रामक खबरें बहुत तेजी से फैलती है। जिसके लिए हमने फ़ैक्ट चेकर भी बना रखा है| जहा से कुछ ही समय मे पता चल जाता है| की कोई खबर की कितनी सच्ची है|इसके अलावा उन्होंने अपनी उपलब्धियों को बताते हुए कहा की हमने सोशल मीडिया का प्रयोग करते हुए जम्मू की क्षेत्रीय भाषा डोंगरी को लेकर एक एप लांच किया था| जिसका प्रयोग करते हुए लोगों ने एक हफ्ते के अंदर ही 1 लाख से ज्यादा लोगों ने डाउनलोड किया था| 


खबरों को पेश करने का तरीका बदल गया


DD के Former Dy Director संजीत खजूरिया ने अपनी बात को रखते हुए कहा की पत्रकारिता मे हमेशा इस बात का ध्यान रखें की जो हमे किताबे सिखाती है, उससे ज्यादा हमें अपने अनुभव सिखाते है| इसके साथ ही उन्होंने आज के इसतिहास के बारे मे चर्चा करते हुए कहा की आज का दिन हमारे मीडिया जगत के लिए महत्वपूर्ण है| क्योंकि आज के दिन ही पहली बार छोटे पर्दे पर चलने वाले चलचित्र और आवाज का एक पिटारा देखने को मिला था| इसके अलावा उन्होंने आज के न्यूज चैनलों की तुलना करते हुए कहा की पहले के चैनल कोई भी खबर एक सिम्पल दाल जैसे बनाते थे लेकिन आज के चैनल बिना तड़का लगाए कोई भी ख़बर प्रस्तुत नहीं करते है| और अंत में अपनी बात को खत्म करते हुए संजीत खजूरिया ने कहा की आज के समय मे जीतने भी न्यूज चैनल है, वो सब कही न कही दूरदर्शन की ही संतान है| 


CBC की Dy Director ने  बताए विज्ञापन के मायने


CBC की Dy Director आयुषी पुरी ने बच्चों को संबोधित करते हुए CBC के बारे में अहम जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने कहा की CBC हमेशा से जमीनी स्तर पर काम करता है| यह हमेशा पंचायत लेवल पर काम करता है। इसके अलावा उन्होंने विज्ञापन के बारे में  अहम जानकारी देते हुए कहा कि टेलीविजन और अखबार की दुनिया में विज्ञापन लिंक का काम करता है। जो दोनों के बीच में सामंजस्य स्थापित करता है।

"IIT जम्मू में "नॉर्थ टेक सिंपोजियम" का आज दूसरा दिन, अत्याधुनिक हथियारों का दिखा दम-खम

Source: Google 


इंजीनियरिंग के लिए स्वर्ग कहे जाने वाले IIT जम्मू में चल रहे तीन दिवसीय "नॉर्थ टेक सिंपोजियम" का आज तीसरा दिन भी सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हुए, सेना के जवानों ने अपने आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया। 

भारतीय सेना की उत्तरी कमान, सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) और भारतीय प्रद्योगिकी संस्थान जम्मू द्वारा संयुक्त रूप से आईआईटी जम्मू परिसर में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम नॉर्थ-टेक संगोष्ठी 2023 का शुभारंभ 11 सितंबर को जम्मू के राज्यपाल श्राी मनोज सिन्हा द्वारा किया गया। इस आयोजन में प्रदर्शनियां, उत्पाद लॉन्च, वन-ऑन-वन संरचित बातचीत, तकनीकी सेमिनार, विचार और नवाचार प्रदर्शन के साथ-साथ सैन्य उपकरण प्रदर्शन शामिल थे। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ड्रोन, हेड गियर ऑल-वेदर एमयूएलई, बोमबाट नेट रेडियो, आर्टफिशल इन्टेलिजन्स, आर्टिलरी गन आदि रहे। 

सेना के जवानों समेत कई निजी कंपनियां और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के रिसर्च स्कॉलर ने अपने बनाए डिजाइन प्रस्तुत किए। संगोष्ठी में सैन्य उपकरणों के साथ ही आम लोगों के उपयोग में आने वाले नवाचार भी थे। जिनमें कुछ प्रमुख नवाचार हैं -

कॉग्मैक टेक द्वारा विकसित, हेड गियर संज्ञानात्मक रोग का पता लगाता है। इसे पीड़ित व्यक्ति के सिर पर पहनाते हैं। जिससे वह न्यूरॉन्स की गतिविधियों की निगरानी करता है। कुछ भी असामान्य दिखने पर इसमें लाल बत्ती जलती है और साथ लगे कंप्यूटर पर संदेश भेजता है। इसके आने से संज्ञानात्मक रोग का पता जल्दी लगाया जा सकता है। इसके आने से किसी भी प्रकार के स्कैन या एमआरआई करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

भारतीय सेना के लिए विकसित मल्टी-यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट (एमयूएलई) में कठिन परिदृश्यों में कार्य करने की क्षमता है।  इसमें कैमरा और रडार लगा हुआ है। इसकी पेलोड क्षमता 12 किलोग्राम है। इसे थर्मल कैमरे और रडार से जोड़ कर फ़ाइरिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया जा सकता है जो स्वचालित है। प्री-फेड मिशनों को सिस्टम पर अपलोड किया जा सकता है। ताकि यह बताया जा सके कि मिशन को पूरा किया जाना है या नहीं। यह दुर्गम स्थानों पर कार्य करने में भी सक्षम है। इसे वाईफाई से जोड़ कर रिमोट कंट्रोल द्वारा नियंत्रित किया जाता है। 

इंडोवींगस कंपनी द्वारा विकसित साइबरवन ड्रोन समुद्रतल से 23,000 फीट तक की ऊंचाइयों पर उड़ान भरने में सक्षम है। इसका पेलोड 1.5 किलोग्राम है। इसमें लगी छह बैटरीयां इसे 60 मिनट तक बिना किसी बाधा के उड़ान भरने की क्षमता प्रदान करती है। यह पैराबैंगनी किरणों से भी सुरक्षित रहता है। यह उपकरण दो मिनट से भी कम समय में उड़ान भरने के लिए तैयार हो जाता है। इसे उड़ान भरने के लिए किसी प्रकाश स्रोत की जरूरत नहीं पड़ती है इसमें पहले से ही लाइट लगाई गई है। यह अन्य ड्रोन की तरह की तरह आवाज नहीं करता है जिससे दुश्मनों को ड्रोन के होने की जानकारी नही मिलती है। इसे कुछ इस तरह बनाया गया है कि यह रडार की पकड़ में नहीं आता है। तूफ़ानी मौसम और बर्फीले पहाड़ों में यह बिना किसी कठिनाई के काम कर सकता है।

कॉम्बैट नेट रेडियो (सीएनआर) युद्ध के मैदान में भारतीय सेना के लिए संचार का मुख्य माध्यम है। भारतीय सेना में प्रयोग होने वाले सीएनआर उपकरण में कई खामियाँ थी जिसे सुधार कर बनाया गया है। सैनिकों को फायदों से लैस करने और उन्हें नेट-केंद्रित युद्ध क्षेत्र में लड़ाई के लिए तैयार करने के लिए, वर्तमान रेडियो को जल्द ही स्वदेशी रूप से विकसित एसडीआर द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना है, जिसमें शोर वाले वातावरण में भी  डेटा ट्रांसमिशन क्षमता शामिल है। पूर्व में उपयोग किए जाने वाले रेडियो में सीमित या कोई डेटा ट्रांसमिशन क्षमता नहीं थी जिसे भी जोड़ा गया है। जीपीएस द्वारा इससे संपर्क साधा जा सकता है। इसे इतना वहनीय बनाया गया है, कि सैनिक इसे अपनी पीठ पर टांग कर भी कार्य कर सकते हैं। इसके नए डिजाइन में मोबाईल चार्जिंग की भी सुविधा दी गई है। 

होवित्ज़र तोप को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया है। इसमें मुख्य रूप से बैरल, ब्रीच मैकेनिज्म, मज़ल ब्रेक और रिकॉइल मैकेनिज़्म शामिल है। यह 155 मिमी कैलिबर गोला बारूद फायर करने में सक्षम है। इसमें उच्च गतिशीलता, त्वरित तैनाती, सहायक पावर मोड, उन्नत संचार प्रणाली, स्वचालित कमांड और नियंत्रण प्रणाली के साथ रात में सीधे फायर मोड में फायरिंग क्षमता के मामले में उन्नत विशेषताएँ हैं। वर्ष 2019 में, सेना और रक्षा मंत्रालय ने 114 हॉवित्जर धनुष के उत्पादन के लिये थोक उत्पादन मंज़ूरी प्रदान की थी। आने वाले दिनों में, एटीएजीएस और धनुष पुराने आर्टिलरी सिस्टम को सफलतापूर्वक प्रतिस्थापित कर देंगे।

सेना में भी आर्टीफिशियल इन्टेलिजन्स का वर्चस्व बढ़ रहा है। एआई की मदद से बीएफएसआर बनाया गया है। इसमें रडार लगा है जो किसी भी चलायमान वस्तु का पता लगा कर इससे जुड़े कंप्युटर को संदेश भेजता है।

IIMC जम्मू में हुआ हिन्दी दिवस का आयोजन, जम्मू में हिन्दी की स्तिथि पर हुई चर्चा

Source: IIMC Jammu 



IIMC जम्मू में 14 सितंबर को आयोजित हिन्दी दिवस के आयोजन पर साहित्यकारों और पत्रकारों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए| जिसका विषय "जम्मू कश्मीर मे हिन्दी की स्तिथि और संभावनाए" था| यह आयोजन दो सत्रों में आयोजित किया गया था| जिसके पहले भाग में अतिथि के रूप में आए हुए साहित्यकारों और पत्रकारों ने अपने-अपने विचार रखें| वही दूसरे सत्र में छात्रों ने "मीडिया में हिन्दी की स्तिथि और संभावनए" पर अपने विचार प्रस्तुत किए|वहीं आयोजन में उपस्थित भारतीय जन संचार संस्थान के क्षेत्रीय निदेशक अनिल सौमित्र ने कहा की "हिन्दी भाषा हमारे राष्ट्र की अस्मिता और गौरव का प्रतीक" है|

जम्मू कश्मीर के लोग अब हिन्दी भाषा से अछूते नहीं 

 वरिष्ठ पत्रकार संजीव दुबे ने बच्चों को संबोधित करते हुए बताया की जम्मू कश्मीर में अब पहले जैसी स्तिथि नहीं रही| पहले लोगों को हिन्दी भाषा को समझने मे समस्या होती थी| लेकिन जैसे-जैसे समय बीता और संचार के माध्यम बढ़े तो लोगों के अंदर भी जिज्ञासा हुई| और आज उसका ये परिणाम है| 95 प्रतिशत लोगों को हिन्दी बोलनी भी आती है और समझ में भी आती है| संजीव जी ने आगे कहा की ये कही न कही हमारे हिन्दी भाषा के लिए गर्व की बात है| की लगातार हिन्दी भाषा का विस्तार हो रहा है| और उसी का परिणाम है की आज हिन्दी पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरे नंबर की भाषा बन चुकी है|

"हिन्दी हैं हम" का उदारण हो रहा है, साकार 

आयोजन मे दूसरे वक्ता के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे वरिष्ठ पत्रकार अनिल गक्खड़ ने "हिन्दी हैं हम" का नारा देते हुए एक बढ़ी बात बोली| उन्होंने हिन्दी भाषा की विस्तार पर चर्चा करते हुए कहा की आज हिन्दी का अस्तित्व लगातार बढ़ता ही जा रहा है| इसका उन्होंने खूबसूरत उदाहरण देते हुए जम्मू और कश्मीर के विश्वविधायलों की भी चर्चा की | उन्होंने कहा की पहले जम्मू और कश्मीर में हिन्दी भाषाई छात्रों की संख्या बहुत काम हुआ करती थी| लेकिन धीरे-धीरे जब से हिन्दी का अस्तित्व बढ़ा है तब से हिन्दी भाषाई छात्रों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है| और लगातार हिन्दी का प्रचार-प्रसार भी बढ़ रहा है|

जम्मू में कभी भी हिन्दी बोलने में ना करें संकोच

जम्मू की मशहूर गायिका सीमा सहगल ने अपने विचार रखते हुए छात्रों से कहा की आप जम्मू में काही भी जाए| लेकिन काभी हिन्दी बोलने से कतराए नहीं,कभी भी हिन्दी बोलने में संकोच ना करें| उन्होंने  कहा की हमेशा हिन्दी को जानने की कोशिश करते रहे| कभी भी नौकरी के पीछे ना भागे, क्योंकि आपको हिन्दी में बहुत अच्छे सारे शब्द मिल जाएंगे| जब आप हिन्दी साहित्य पढ़ना शुरू करेंगे तो आपको इसका एहसास होगा| और जब आपको ढ़ेर सारे शब्दों का ज्ञान हो जाएगा| तो आप अपना रास्ता खुद चुन लोगे और आपको नौकरी ढूँढने की जरूरत नहीं पड़ेगी| 

हिन्दी भाषा हमारे राष्ट्र की अस्मिता और गौरव का प्रतीक

हिन्दी दिवस की अध्यक्षता कर रहें भारतीय जन संचार संस्थान के क्षेत्रीय निदेशक अनिल सौमित्र ने  बच्चों संबोधित करते हुए कहा की हिन्दी भाषा हमारे राष्ट्र की अस्मिता और गौरव का प्रतीक है| इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र करते हुए कहा की हमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए| क्योंकि हाल ही में प्रधानमंत्री ने G20 शिखर सम्मेलन को हिन्दी में संबोधित किया था|

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में बच्चों ने मीडिया में हिन्दी की स्तिथि और संभावनाओ पर अपने विचार रखें| भारतीय जन संचार संस्थान की छात्रा रतन ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम है ना की किसी के व्यक्तित्व का परिचय देती है| इसके अलावा संजय नाम के छात्र ने हिन्दी दिवस पर अपने विचार रखते हुए भाउक स्वर में कहा की अंग्रेज जो सोचते थे और कहते थे की अंग्रेज तो यक दिन चले जाएंगे लेकिन उनकी छाप हमेशा रहेगी और आज उसी का नतीजा है की अगर हमे हिन्दी दिवस के लिए भाषण भी लिखना होता है| तो हम Hinglish में लिखते है, ना की हिन्दी भाषा में|

गुरुवार, 21 सितंबर 2023

IIMC में नए सत्र की शुरुआत, अंजना ओम कश्यप ने बताए पत्रकारिता के गुर

Source: IIMC Delhi 


IIMC (भारतीय जन संचार संस्थान) में मंगलवार 12 सितंबर से 2023-24 के नए सत्र की शुरुआत हो चुकी है। आज सत्रारम्भ की शुरुआत एक कार्यक्रम के द्वारा हुई। जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में आज तक की एडिटर इन चीफ अंजना ओम कश्यप मौजूद रही। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को बहुआयामी मीडिया और IIMC के प्रशिक्षकों से रूबरू कराना था। कार्यक्रम में IIMC के क्षेत्रीय कैंपस के बच्चों ने भी online जुड़कर कार्यक्रम में सहभागिता दिखाई। अंजना ओम कश्यप ने मीडिया जगत से जुड़े सवालों का भी जवाब दिया। उन्होंने मीडिया में अपनी पैठ बना रहे आर्टफिशल इन्टेलिजेन्स पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, आने वाला दौर आर्टफिशल इन्टेलिजेन्स का है। जिसके लिए भावी पत्रकारों को कमर कसने की जरूरत है। साथ ही  डिजिटल मीडिया की विशेषता बताते हुए डिजिटल जगत में भी अपार संभावनाएँ बताई। जरूरत है।


मीडिया सम्बंधित विचाराधारा पर कही बड़ी बात


अक्सर ख़बर बनाने वालें स्वयं ख़बर बन जाते हैं। और उसका प्रमुख कारण उनकी ख़बर में झलकती उनकी विचारधारा होती है। अंजना ने इस बात को इंगित करते हुए कहा की हमेशा हम पर विचारधारा हावी होने का प्रयास करतीं है। लेकिन पत्रकार का दायित्व होता है। की जब भी वह न्यूज़ रूम में प्रवेश करें। तो वह अपने विचारधारा को बाहर रख कर आए। क्योंकि जब भी कोई पत्रकार किसी ख़बर में अपने विचारधारा शामिल करता है। तो वह ख़बर एकपक्षीय हो जाती है। और पत्रकारिता का धर्म होता है। कि हमेशा ख़बर के दोनों पहलुओं को दिखाया जाए।


लेखनी और संचार पर बनाए पकड़
Source: IIMC Delhi 




आज तक की एडिटर इन चीफ अंजना ओम कश्यप ने भावी पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए, लेखनी और संचार सम्बंधित मुद्दों पर भी अपने विचार रखें। अंजना ने कहा हमेशा आपको पढ़ते और लिखते रहना चाहिए। क्योंकि अगर आप प्रतिदिन पढ़ेंगे तो आपकी जानकारी में वृद्धि होगी और लिखने पर आपकी खबरों और स्क्रिप्ट लिखने में पकड़ बनेंगी। इसके अलावा संचार के मुद्दे पर बात करते हुए बताया कि हमेशा ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलें। क्योंकि लोगों से ही ख़बर बनती है। और एक पत्रकार एक समय में एक ही जगह उपस्थित रह सकता है। लेकिन और ख़बरों के लिए लोग ही काम आते हैं। इसलिए अपना संचार माध्यम हमेशा मजबूत रखें।


पैरवी नहीं टैलेंट से लगती है, नौकरी 

अंजना ने अपने सम्बोधन के अंत में लोगों के जहन में हमेशा रहने वाले सवालों का ज़वाब देते हुए कहा कि आप अपने दिमाग से इस भ्रम को निकाल दें कि मीडिया जगत में आपकों नौकरी किसी के पैरवी से मिलेंगी। अंजना ने आगे कहा कि नौकरी तो मिल जायेगी। लेकिन आप ज्यादा दिनों तक मीडिया फील्ड में काम नहीं कर पाओगे। क्योंकि मीडिया में पैरवी नहीं टैलेंट की जरूरत होती है।

महराजगंज के गुरुद्वारा का ऐतिहासिक महत्व

Source: Google भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित कश्मीर घाटी को अक्सर भारतीय उपमहाद्वीप के मुकुट के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है। अपनी मनमोह...