रविवार, 24 सितंबर 2023

"IIT जम्मू में "नॉर्थ टेक सिंपोजियम" का आज दूसरा दिन, अत्याधुनिक हथियारों का दिखा दम-खम

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इंजीनियरिंग के लिए स्वर्ग कहे जाने वाले IIT जम्मू में चल रहे तीन दिवसीय "नॉर्थ टेक सिंपोजियम" का आज तीसरा दिन भी सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हुए, सेना के जवानों ने अपने आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया। 

भारतीय सेना की उत्तरी कमान, सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) और भारतीय प्रद्योगिकी संस्थान जम्मू द्वारा संयुक्त रूप से आईआईटी जम्मू परिसर में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम नॉर्थ-टेक संगोष्ठी 2023 का शुभारंभ 11 सितंबर को जम्मू के राज्यपाल श्राी मनोज सिन्हा द्वारा किया गया। इस आयोजन में प्रदर्शनियां, उत्पाद लॉन्च, वन-ऑन-वन संरचित बातचीत, तकनीकी सेमिनार, विचार और नवाचार प्रदर्शन के साथ-साथ सैन्य उपकरण प्रदर्शन शामिल थे। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ड्रोन, हेड गियर ऑल-वेदर एमयूएलई, बोमबाट नेट रेडियो, आर्टफिशल इन्टेलिजन्स, आर्टिलरी गन आदि रहे। 

सेना के जवानों समेत कई निजी कंपनियां और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के रिसर्च स्कॉलर ने अपने बनाए डिजाइन प्रस्तुत किए। संगोष्ठी में सैन्य उपकरणों के साथ ही आम लोगों के उपयोग में आने वाले नवाचार भी थे। जिनमें कुछ प्रमुख नवाचार हैं -

कॉग्मैक टेक द्वारा विकसित, हेड गियर संज्ञानात्मक रोग का पता लगाता है। इसे पीड़ित व्यक्ति के सिर पर पहनाते हैं। जिससे वह न्यूरॉन्स की गतिविधियों की निगरानी करता है। कुछ भी असामान्य दिखने पर इसमें लाल बत्ती जलती है और साथ लगे कंप्यूटर पर संदेश भेजता है। इसके आने से संज्ञानात्मक रोग का पता जल्दी लगाया जा सकता है। इसके आने से किसी भी प्रकार के स्कैन या एमआरआई करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

भारतीय सेना के लिए विकसित मल्टी-यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट (एमयूएलई) में कठिन परिदृश्यों में कार्य करने की क्षमता है।  इसमें कैमरा और रडार लगा हुआ है। इसकी पेलोड क्षमता 12 किलोग्राम है। इसे थर्मल कैमरे और रडार से जोड़ कर फ़ाइरिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया जा सकता है जो स्वचालित है। प्री-फेड मिशनों को सिस्टम पर अपलोड किया जा सकता है। ताकि यह बताया जा सके कि मिशन को पूरा किया जाना है या नहीं। यह दुर्गम स्थानों पर कार्य करने में भी सक्षम है। इसे वाईफाई से जोड़ कर रिमोट कंट्रोल द्वारा नियंत्रित किया जाता है। 

इंडोवींगस कंपनी द्वारा विकसित साइबरवन ड्रोन समुद्रतल से 23,000 फीट तक की ऊंचाइयों पर उड़ान भरने में सक्षम है। इसका पेलोड 1.5 किलोग्राम है। इसमें लगी छह बैटरीयां इसे 60 मिनट तक बिना किसी बाधा के उड़ान भरने की क्षमता प्रदान करती है। यह पैराबैंगनी किरणों से भी सुरक्षित रहता है। यह उपकरण दो मिनट से भी कम समय में उड़ान भरने के लिए तैयार हो जाता है। इसे उड़ान भरने के लिए किसी प्रकाश स्रोत की जरूरत नहीं पड़ती है इसमें पहले से ही लाइट लगाई गई है। यह अन्य ड्रोन की तरह की तरह आवाज नहीं करता है जिससे दुश्मनों को ड्रोन के होने की जानकारी नही मिलती है। इसे कुछ इस तरह बनाया गया है कि यह रडार की पकड़ में नहीं आता है। तूफ़ानी मौसम और बर्फीले पहाड़ों में यह बिना किसी कठिनाई के काम कर सकता है।

कॉम्बैट नेट रेडियो (सीएनआर) युद्ध के मैदान में भारतीय सेना के लिए संचार का मुख्य माध्यम है। भारतीय सेना में प्रयोग होने वाले सीएनआर उपकरण में कई खामियाँ थी जिसे सुधार कर बनाया गया है। सैनिकों को फायदों से लैस करने और उन्हें नेट-केंद्रित युद्ध क्षेत्र में लड़ाई के लिए तैयार करने के लिए, वर्तमान रेडियो को जल्द ही स्वदेशी रूप से विकसित एसडीआर द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना है, जिसमें शोर वाले वातावरण में भी  डेटा ट्रांसमिशन क्षमता शामिल है। पूर्व में उपयोग किए जाने वाले रेडियो में सीमित या कोई डेटा ट्रांसमिशन क्षमता नहीं थी जिसे भी जोड़ा गया है। जीपीएस द्वारा इससे संपर्क साधा जा सकता है। इसे इतना वहनीय बनाया गया है, कि सैनिक इसे अपनी पीठ पर टांग कर भी कार्य कर सकते हैं। इसके नए डिजाइन में मोबाईल चार्जिंग की भी सुविधा दी गई है। 

होवित्ज़र तोप को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया है। इसमें मुख्य रूप से बैरल, ब्रीच मैकेनिज्म, मज़ल ब्रेक और रिकॉइल मैकेनिज़्म शामिल है। यह 155 मिमी कैलिबर गोला बारूद फायर करने में सक्षम है। इसमें उच्च गतिशीलता, त्वरित तैनाती, सहायक पावर मोड, उन्नत संचार प्रणाली, स्वचालित कमांड और नियंत्रण प्रणाली के साथ रात में सीधे फायर मोड में फायरिंग क्षमता के मामले में उन्नत विशेषताएँ हैं। वर्ष 2019 में, सेना और रक्षा मंत्रालय ने 114 हॉवित्जर धनुष के उत्पादन के लिये थोक उत्पादन मंज़ूरी प्रदान की थी। आने वाले दिनों में, एटीएजीएस और धनुष पुराने आर्टिलरी सिस्टम को सफलतापूर्वक प्रतिस्थापित कर देंगे।

सेना में भी आर्टीफिशियल इन्टेलिजन्स का वर्चस्व बढ़ रहा है। एआई की मदद से बीएफएसआर बनाया गया है। इसमें रडार लगा है जो किसी भी चलायमान वस्तु का पता लगा कर इससे जुड़े कंप्युटर को संदेश भेजता है।

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