शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

कतर की अदालत ने 8 भारतीयों की मौत की सज़ा का फैसला बदला

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कतर में मौत की सजा पाए आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों के परिवारों को राहत देने वाली खब़र सामने आई है। कतर की अपीलीय अदालत ने गुरुवार को सजा पाए आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों की मौत की सजा को कम कर दिया है। क़तर कोर्ट के फैसले की जानकारी देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा की सुनवाई के दौरान भारतीय राजदूत अपने अन्य अधिकारियो समेत सभी सैनिकों के पिरजन कोर्ट में मौजूद थे। मंत्रालय ने आगे बताया कि विस्तृत आदेश का इंतज़ार है, लेकिन सज़ा कम कर दी गई हैं। 


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कतर के द्वारा लिए गए इस फैसले को हिन्दूस्तान की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। बता दें की इसी महीने दुबई में आयोजित ‘सीओपी-28’ के शिखऱ सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से मुलाकात की थी। कतर शेख से मिलने का बाद मोदी ने कहा था की उन्होंने कतर में भारतीय समुदाय के कल्याण को लेकर चर्चा की है।


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गौरतलब है कि साल 2022 के अगस्त महीने में भारत के आठ पूर्व नौसैनिकों को जासूसी के आरोप में, कतर में गिरफ्तार कर लिया गया था। जिसके बाद कतर कोर्ट में दो महीने तक चले सुनवाई के बाद अक्टूबर में सभी आठ पूर्व सैनिकों को मौत की सजा सुनाई थी। हलांकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपो को कतर अधिकारियों ने सार्वजनिक नहीं किया था। बता दें कि सभी आठों पूर्व नौसैनिक कतर के दोहा स्थित ‘दहरा ग्लोबल’ कंपनी के कर्मचारी थे। दहरा ग्लोबल एक निजी कंपनी है, जो कतर के सशस्त्र बलों और सुरक्षा एजंसियों को प्रशिक्षण और अन्य सेवाएं प्रदान करती है। इस पूरे मामले में विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा, ‘ कतर में हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी परिवार के सदस्यों के साथ गुरूवार को अपीलीय अदालत में मौजूद थे। हम मामले की शुरूआत से उनके साथ खड़े हैं और हम उन्हें सभी कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम इस मामले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाते रहेंगे।’

गुरुवार, 14 दिसंबर 2023

आर्टिकल-370 से जम्मू-कश्मीर आजाद

 

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देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आर्टिकल-370 पर अपना एतिहासिक फैसला सुनाते हुए, केन्द्र द्वारा अनुच्छेद-370 को समाप्त करने के फैसले को सही ठहराया। 11 दिसंबर को आए इस फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा की अनुच्छेद-370 एक अस्थायी प्रावधान है। जिसे लागू करने के लिए केन्द्र सरकार बाध्य नहीं है। हालांकि अदालत नें केंद्र सरकार को आदेश देते हुए कहा है, की जल्द से जल्द जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दें। वहीं चुनाव आयोग को भी निर्देशित किया गया है, की वह 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव कराए।

 

लगातार 16 दिन तक चली सुनवाई के बाद सोमवार को मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मत से अनुच्छेद-370 को खत्म करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखने का फैसला सुनाया। गौरतलब है कि 5 अगस्त, 2019, को केन्द्र सरकार ने अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी बताते हुए, जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। जिसके बाद 23 लोगो ने केन्द्र के इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। और इस बात का उल्लेख किया था की केन्द्र सरकार जम्मू कश्मीर के लोगों की इच्छा को अनदेखी कर रही है। और उनके अधिकारों को खत्म कर रही है। केन्द्र के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती देने वाले इन 23 याचिकार्ताओं में जम्मू- कश्मीर के वकील, राजनेता, पत्रकार, राजनीतिक पार्टिया, रिटायर्ड मेजर जनरल से लेकर, पूर्व आईएएस अधिकारी भी शामिल थे।


लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला वैध


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पांच जजों की पीठ ने लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बनाने के केंद्र के फैसले को सही ठहराते हुए वैध बताया। पीठ ने अपने फैसले में कहा की लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला बरकरार रहेगा। जबकि जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद-3 (ए) का हवाला देते हुए स्पष्ट किया की अनुच्छेद-3 (ए) केंद्र सरकार को किसी भी राज्य से एक हिस्से को अलग कर केंद्रशासित प्रदेश बनाने की अनुमति देता है। और राज्य पुनर्गठन संविधान के तहत लद्दाख का केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्वीकार्य किया जाता है।




चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का तर्क क्या है?


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  • · संविधान जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में किसी भी कानून में बदलाव करते समय राज्य सरकार की सहमति को अनिवार्य बनाता है.

 

  • जब अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था तब जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन था और राज्य सरकार की कोई सहमति नहीं थी.

 

  • राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना विधानसभा को भंग नहीं कर सकते थे।

 

  • केंद्र ने जो किया है वह संवैधानिक रूप से स्वीकार्य नहीं है और अंतिम साधन को उचित नहीं ठहराता है।

 

  • केंद्र सरकार ने संसद में अपने बहुमत का उपयोग किया, और एक संपूर्ण राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बाँट दिया। ये संविधान के खिलाफ तो है ही, राज्य की संप्रभुता के भी खिलाफ है।


सरकार का इस पूरे मामले में क्या पक्ष है?


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  • ·  संविधान के तहत निर्धारित उचित प्रक्रिया से कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। केंद्र के पास राष्ट्रपति का आदेश जारी करने की शक्ति थी।

 

  • अनुच्छेद 370 कोई विशेषाधिकार नहीं था, जिसे वापिस नहीं लिया जा सकता है।

 

  • अनुच्छेद 370 को खत्म करने से राज्य के बाशिंदों को उनके मूल अधिकार मिले।

 

  • जिस तरीके से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था, वो बिल्कुल संवैधानिक था।

 

  • ·जब संविधान सभा को डिज़ाल्व किया गया, तो संविधान सभा के सदस्य भी ये नहीं चाहते कि उनके कहने पर अनुच्छेद 370 को रहने दिया जाए, या हटा दिया जाए। क्योंकि आखिरी निर्णय राष्ट्रपति का होता और राष्ट्रपति अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं।

 

  •  जब भी राष्ट्रपति शासन होता है, तो देश की संसद राज्य की विधायिका की भूमिका निभाती है - और देश के सभी राज्यों के लिए ये बराबर है।

 

  • दो अलग-अलग संवैधानिक अंग - राष्ट्रपति, राज्य सरकार की सहमति से - जम्मू-कश्मीर के संबंध में संविधान के किसी भी हिस्से में संशोधन करने की शक्ति रखते हैं।

 

  • जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश अस्थायी रूप से बनाया गया है। उसे जल्द पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। जबकि लदाख केंद्रशासित प्रदेश ही बना रहेगा।

 

 

 

 







 



IIMC जम्मू में IDBI Bank ने लगाया जागरूकता कैंप

 


कार्यक्रम समापन  के बाद की फोटो 


भारतीय जन संचार संस्थान के जम्मू परिसर में वीरवार को IDBI  बैंक के अधिकारियों ने साइबर अपराध के खिलाफ छात्रों को जागरूक करते हुए, कार्यक्रम आयोजित किया। साथ ही छात्रों को केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही वित्तीय योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी। कार्यक्रम का उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत लोगो को जागरूक कर 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में IDBI  बैंक, बहु प्लाजा जम्मू के शाखा मैनेजर मयंक अंग्राल, रिलेशनशिप मैनेजर प्रतिभा भट्ट, स्थानिय पत्रकार सुरेन्द्र शर्मा और साथ ही IIMC  के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ दिलीप कुमार मौजूद रहे।


कार्यक्रम के शुरुआत में IIMC की  पुस्तक भेंट की गई 


 शाखा मैनेजर मयंक अंग्राल ने कार्यक्रम की शुरूआत साइबर फ्रॉड से जुड़ें कुछ मामलो को बताते हुए, छात्रों को जागरूक रहने का संदेश दिया। जब अंग्राल जी छात्रों से कभी उनके साथ हुए साइबर फ्रॉड़ के बारे में बताने को कहा, तों IIMC  हिन्दी विभाग की छात्रा निकिता ने बताया की वह एक बार साइबर फ्रॉड का शिकार होने से बच गई। निकिता ने बताया की, आज से 6 महीना पहले उन्हें किसी अंजान नंबर से कॉल आई थी। जिसमें कहा गया की आपकी 80 हजार की लॉट्री लगी है। लेकिन आपको ये 80 हजार तभी मिलेंगे जब आप हमें 20 हजार रूपए भेजेंगे। निकिता ने आगे बताया की जब इस तरह से 20 हजार रूपए मांगे गए, तो वह समझ गई की उनके साथ फ्रॉड किया जा रहा है। जिसके तुरंत बाद उन्होंने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग के पोर्टल पर अपने साथ होने जा रहें फ्राड के बारे में शिकायत दर्ज कराई।


कार्यक्रम के दौरान छात्र  और छात्राएं


 कार्यक्रम के अंत में रिलेशनशिप मैनेजर प्रतिभा भट्ट ने छात्रों को वित्तीय साक्षरता के अंतर्गत केंद्र सरकार के उन योजनाओं के बारे में जागरूक किया। जिनके माध्यम से वह लाभान्वित हो सकते हैं। प्रतिभा भट्ट जी ने महिलाओं से जुड़ी योजनाओं जैसे- महिला सम्मान सेविंग सर्टीफिकेट और सुकन्या समृध्द योजना का जिक्र करते हुए छात्रों को इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही केंद्र सरकार के कार्यक्रम विकसित भारत संकल्प यात्रा में हम किस प्रकार से योगदान कर सकते हैं। इस बात का भी जिक्र किया।

 

 

बुधवार, 6 दिसंबर 2023

चांद सी मुस्कान वाली चांदनी दीदी के संघर्षो की कहानी.

 

चांदनी दीदी


ये हैं, चांदनी दीदी....चेहरे पर हल्की सी मुस्कान और पुरस्कारों से घिरी दिवारों के पीछे का संघर्ष बहुत ही दुखद है। आज से लगभग 25 वर्ष पूर्व चांदनी दीदी का जन्म एक ऐसे परिवार में होता है। जिसका पेशा गांव-गांव और शहर-शहर जाकर खेल तमाशा  दिखाना होता था।


जब एक छोटे बच्चे की उम्र स्कूल में पैर रखने की होती है। उसी उम्र से चांदनी दीदी अपने पिता जी के साथ खेल तमाशा करने लगी थी। उम्र के साथ-साथ समय बीता तो कुछ ही साल बाद, ये सफर दिल्ली तक पहुंच गया। किसी तरह परिवार का जीवनयापन खेल तमाशा दिखा कर चल रहा था। लेकिन अचानक से पिता की मृत्यु के बाद पूरी जिंदगी ही बदल गई। क्योंकि एक पिता अपने पीछे 3 बच्चों और पत्नी को छोड़ गया था।


अब चांदनी दीदी के जीवन का असली संघर्ष शुरू होता है। पिता के जाने के बाद, चांदनी दीदी को ही घर चलाना था, क्योंकि मां भी भारी भरकम काम करने में सक्षम नहीं थी। दीदी बताती है, कि सबसे पहले वह कबाड़ बिनने का काम शुरू करती हैं। कबाड़ से अच्छे पैसे न आने और पुलिस वालों की डांट फटकार की वजह से वह फूल बेचने का काम शुरू कर देती हैं। चांदनी दीदी कहती है, की वह रात के दो बजे सड़कों पर फूल बेंचा करती थी। क्योंकि उस समय लोग माॅल, बार, सिनेमा और पब जैसे जगहों से निकलते थे।  लेकिन उस समय जब ठंड ज्यादा होती थी। और ठंडी के कपड़े नहीं होते थे। तो ज्यादातर दीवारों की ओट में या फिर दो गाड़ियों के बीच खड़े हो जाते थे। जिससे ठंड कम लगे। लेकिन जब इससे भी घर का जीवनयापन नहीं हो रहा था। तो अन्ततः भुट्टे बेचना शुरू कर दिया। इसके आगे दीदी बताती है, कि कई बार हाथ भी जल जाता था। लेकिन काम तो करना था। क्योंकि अपने साथ तीन और लोगों का पालन पोषण करना था। 


इसके बाद चांदनी दीदी के ज़िन्दगी में एक और नया मोड़ आता है। क्योंकि चांदनी दी एक होशियार लड़की थी। जिसके कारण एक  NGO ने इन्हें अपने ही जैसे झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने और मार्गदर्शन करने का काम सौंप देते हैं। लगातार दस वर्षों तक मन लगाकर और सभी को साथ लेकर, उस NGO के साथ काम करती रहती है। लेकिन जब दस वर्षों के बाद चांदनी दी की उम्र 18 वर्ष पूरी होती है। तो NGO से यह कह कर निकाल दिया जाता है, कि ये NGO 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए है। निकालें जाने के बाद चांदनी दीदी बताती है, कि उन्हें उस समय ऐसा महसूस हुआ था। की 10 साल पहले जहां से मेरी कहानी खत्म हूई थी। आज फिर वहीं से शुरू हो रही है। और मैं फिर से भुट्टे बेचने लगी। 


लेकिन काम करने का जुनून और हौसला दोनों डगमगाए नहीं। क्योंकि जो जिन्दगी उन्होंने स्वयं जी थी। वह ज़िन्दगी और किसी को जीते नहीं देखना चाहतीं थीं। जिसके बाद अपने पति देव प्रताप सिंह जी के साथ उन्होंने Voice of Slum  नामक NGO की शुरुआत की और आज लगभग कुछ ही वर्षों में 10 हजार ज़िन्दगियां बदल दी। इन 10 हजार बच्चों के स्नातक तक की पूरी पढ़ाई की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली हैं। हाल ही में चांदनी दी को कर्मवीर चक्र से सम्मानित किया गया है। बाकी आप तस्वीरो में दिख रहे, सम्मानों से अंदाजा लगा सकते हैं। तत्कालीन राष्ट्रपति माननीय प्रणब मुखर्जी जी ने भी डिनर पर बुलाया था।


अगर आप भी "Voice of Slum" के बच्चों की मदद करना चाहते हैं। तो "Voice of Slum" के वेबसाइट पर जाकर बच्चों के लिए पैसे डोनेट कर सकते हैं।

महराजगंज के गुरुद्वारा का ऐतिहासिक महत्व

Source: Google भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित कश्मीर घाटी को अक्सर भारतीय उपमहाद्वीप के मुकुट के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है। अपनी मनमोह...